समास ( Compound )
समास ( Compound ) Learn Smash Hindi Grammar |
हिंदी में समास की अपनी एक महत्ता है। समास शब्द का अर्थ है – जोड़ना अथवा मेल ।
समास –
दो या दो से अधिक शब्दों के योग से जो नए शब्द का निर्माण होता है उसे समास कहते
हैं जैसे पाठ+शाला=पाठशाला । पाठ और शाला शब्दों से मिलकर बने शब्द पाठशाला को समास
कहा जाता है।
हिंदी भाषा में समास के कुछ नियम होते हैं जिसका उल्लेख नीचे दिया गया है।
1. समास शब्द दो या दो से अधिक शब्दों का मेल होता है। 2 ये दोनों मेल वाले शब्द मिलकर एक पद का रूप ले लेते हैं। 3. इन शब्दों में विभक्ति प्रत्यय का हम लोप कर देते हैं। 4. समास प्राय हम एक
ही जाति के शब्दों का कर सकते हैं जैसे पाठशाला तो ठीक है परंतु यदि हम कहें कि मजहबशाला तो गलत होगा। लेकिन आज इसके अपवाद भी मौजूद हैं जैसे जिलाधीश, अधीक्षक, स्टेशन, रेलगाड़ी, बम-वर्षा आदि। 5. पूर्ण शब्द को तोड़ना समास-विग्रह कहा जाता है। 6. यदि संस्कृत के तत्सम शब्द का प्रयोग हिंदी में हो तो समय आने पर उनकी संधि भी हो सकती है।
संधि और समास में अंतर –
संधि और समास में निम्नलिखित अंतर विद्यमान है। 1. संधि को तोड़ना संधि-विच्छेद
कहलाता है और समास को तोड़ना समास-विग्रह कहलाता है। 2. संधि में दो वर्णों का मेल
होता है परंतु समास में हम दो पदों का योग करते हैं। 3. समास में प्रत्यय का लोप हो
जाता है जबकि संधि में दो वर्णों के मेल से विकार उत्पन्न होता है। समास के भेद- समास के कुल चार भेद होते हैं 1. अव्ययीभाव
समास 2. तत्पुरूष समास 3. द्वंद्व समास 4. बहुव्रीही समास ।
नोट- कभी कभी तत्पुरूष समास के दो और भेद माने जाते हैं कर्मधारय और द्विगु इस लिए कुल समास के छ: भेद पाये जाते हैं।
अव्ययीभाव समास –
अव्यय का अर्थ होता है – अविकारी । इस समास के अंतर्गत
पहला पद अव्यय और दूसरा पद संज्ञा होता है और समस्त पद अव्यय का काम करता है उसे
अव्ययीभाव समास कहा जाता है। प्रथम पद प्रधान और दूसरा पद गौण होता है तथा समस्तपद
क्रिया-विशेषण अव्यय के रूप में काम करता है।
यथामति |
मति के अनुसार |
हाथोंहाथ |
हाथ ही हाथ्ा में |
आजन्म |
जन्म से लेकर |
प्रत्येक |
हर एक के प्रति |
हरघड़ी |
प्रत्येक घड़ी |
यथाशक्ति़ |
शक्ति के अनुसार |
यथारूचि |
रूचि के अनुसार |
यथाविधि |
विधि के अनुसार |
यथासमय |
समय के अनुसार |
यथासंभव |
जितना संभव हो सके |
यथार्थ |
अर्थ के अनुसार |
यथाक्रम |
क्रम के अनुसार |
बदौलत |
दौलत के साथ |
सपरिवार |
परिवार के साथ |
बेरोजगार |
बिना रोजगार के |
निर्भय |
बिना डर के |
आजीवन |
जीवन भर |
बेकाम |
बिना काम के |
बतौर |
तौर के साथ |
बेशर्म |
बिना शर्म के |
बेलाग |
बिना लाग के |
प्रत्यक्ष |
अक्षि के प्रति |
समक्ष |
अक्षि के सामने |
बारम्बार |
बार-बार |
भरपेट |
पेट-भर |
आमरण |
मरने तक |
एकाएक |
अचानक, सहसा |
बीचों-बीच |
बीच ही बीच में |
साफ-साफ |
स्पष्ट रूप से |
प्रतिमाह |
प्रत्येक माह |
आसमुद्र |
समुद्र तक |
यथानियम |
नियम के अनुसार |
भरपूऱ |
पूरा भरा हुआ |
तत्पुरूष समास -
जिसमें उत्तरपद अर्थात अंतिम पद प्रधान हो और पहला पद केवल उसकी विशेषता बताने के साथ ही गौण होता हो उसे तत्पुरूष समास कहा जाता है। इसमें सभी पदों के मध्य में आने वाले परसर्गों का लोप हो जाता है। जैसे रेखा से अंकित = रेखांकित । इसके हिंदी भाषा में सात भेद माने गए हैं क्योंकि हिंदी में सात कारक होते हैं जिनका लोप समास उसकी किया जाता है और इन्हीं के आधार पर इसके सात भेद माने जाते हैं।
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