HINDI GRAMMAR: Nakshalwaad Nibandh // नक्सलवाद एक अभिशाप पर निबंध//Hindinibandh//SSC,MTS,CHSL,CGL

Wednesday, January 24, 2018

Nakshalwaad Nibandh // नक्सलवाद एक अभिशाप पर निबंध//Hindinibandh//SSC,MTS,CHSL,CGL

Nakshalwaad Nibandh

 (Nibandh 200-300words)

नक्सलवाद पर निबंध

(निबंध 200-300 शब्द)





नक्सलवाद 1960 के दशक में बंगाल से शुरू हुआ, एक आंदोलन था। जिसने आज  पूरे देश के सामने एक गंभीर चुनौती प्रकट कर दी है। नक्सलवाद को यह नाम 1967 में बंगाल पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी नामक गांव से मिला। जहां एक आदिवासी किसान मेल किशन के खेत पर स्थानीय भू स्वामियों ने अधिकार कर लिया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरुप उस क्षेत्र के आदिवासियों ने भू स्वामियों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह को साम्यवादी क्रांतिकारियों का भरपूर समर्थन मिला धीरे-धीरे इस तरह के विद्रोह भारत में कई जगहों पर होने लगे और इसी प्रथम विद्रोह के नाम पर नक्सलवादी विद्रोह का नाम दिया गया। इस प्रकार विद्रोह के एक नए रूप नक्सलवाद का प्रादुर्भाव हुआ। जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। इस खतरे में हमारे 20 राज्यों के 223 जिलों हैं। जिनमें हमारे पुलिस और सेना के जवान अपनी जान गवां चुके हैं।

Hindi Grammar Nakshalwaad Nibandh

Nakshalwaad Nibandh



नक्सलवादी ना संविधान पर विश्वास करते हैं और ना कानून व्यवस्था पर। उन्होंने सिस्टम के खिलाफ हथियार लेकर विद्रोह कर दिया है। नक्सलवाद को बढ़ावा व्यापक बेरोजगारी, दलितों और मजदूरों का शोषण, आदिवासी हितों की उपेक्षा और राजनीतिक गलत बयान बाजी है। यदि समय रहते इस समस्या को नहीं हल किया गया, तो आने वाले समय में यह और भी भयंकर रूप धारण कर लेगी। नक्सलवाद लोकतांत्रिक मूल्यों की विफलता तथा साथ ही गरीब और दलितों के हितों की उपेक्षा से उपजा एक आंदोलन था। जिसे आज नक्सलवाद कहा जाता है। नक्सलवादी कभी चुनाव का बहिष्कार करते हैं तो कभी किसी प्रत्याशी को जिताने के लिए उस के समर्थन में प्रचार करते हैं और कहते हैं कि सरकार की नीतियों की वजह से वह मुख्यधारा से पिछड़ते जा रहे हैं।जब भी कभी सरकारेें उन को मुख्यधारा में शामिल करना चाहती है तो विकास कार्यों जैसे स्कूल अस्पतालों कॉलेजों का निर्माण करवाती है तो नक्सलवादी स्कूल-कॉलेजों अस्पतालों सड़कों का निर्माण कार्य बाधित कर देते हैं। इनकी विचारधारा को समझना बहुत ही कठिन और जटिल है। कहीं ऐसा तो नहीं कि नक्सलवाद के कारण हिंसा के रास्ते पर चलते चलते ये लोग अपनी मूल मांगो से कहीं भटक गए हो। नक्सलवाद आज देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ विदेशी शत्रुओं से भी गंभीर खतरे की आशंका बन रही है। क्योंकि उनके पास हमेशा विदेशी हथियार मिलते हैं। इसके अलावा जिस भी क्षेत्र में नक्सलवादी गुब्‍ सक्रिय होते हैं। वह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से  विकास के मामले में पिछड़ता चला जाता है।
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Nakshalwaad Nibandh


नक्सलवाद को जड़ से खत्म करना एक निश्चित रूप से लोकतांत्रिक सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होता है ।परंतु भारत जैसे विकासशील देश के लिए सुनहरे भविष्य के इस बुरे सपने से बाहर आना। वह भी जितनी जल्दी हो सके। बहुत ही जरूरी है जिससे की संपूर्ण देश एक साथ मिलकर देश के विकास में अपना पूर्ण सहयोग दे सकें और भारत की उज्जवल भविष्य की कामना कर उसे विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचा सके।

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